आप गुलजार की तर्ज पर दिल तो बच्चा है जी कहकर आगे बढ़ जाने के बजाए जरा गौर करें तो पता चलेगा कि दुनिया में हर कहीें जिसका जिक्र सबसे ज्यादा अंदाज में होता है वह दिल ही है। जितना और जितने विविध अंदाज में दिल का जिक्र अब तक हुआ है, जितनी परिभाषाएं, जितनी कहावतें और मुहावरे इसे लेकर गढ़े गए हैं उसे दुनिया की एक ही शै टक्कर दे सकती है और वह है आर्ट। बस यूं ही, एक दिन लगा कि दिल और कला यानी आर्ट एंड हार्ट की ऐसी जुगलबंदी को लेकर कहीं कुछ मिल जाए तो मजा ही आ जाए। आर्ट की हजारों परिभाषाएं मिलेंगी तो दिल की लाखों। आर्ट ने इंसानी दिल को जितना हल्का रखने में मदद की दिल ने आर्ट को उतनी ही खूबसूरती से आगे बढ़ाया। यकीन मानिए दिल की बातें दिल ही में रह जाएं, उन्हें दुनिया के सामने रंगों या शब्दों में कलात्मक तरीके से पेष न किया जा सके तो हार्टफेल न जाने कितने गुना बढ़ जाएं। वही दिल जितना खुला-खुला रहा उसने उतना ही कला के जरिए जीवन को रंगों से भर दिया। जब पहली बार प्रदीप ने आर्ट एण्ड हार्ट के बीच सार्थक जुड़ाव शुरू किया तभी यह साफ हो गया था कि यह जमीन काफी उर्वर है और इस पौधे के फूल न जाने कितनी जिंदगियों में रंग भरने वाले हैं। अप्रत्याषित सा एक वाकया तो यह भी देखा गया कि रंगों से जुड़ी जीवन की लोचा या कहें जिजीविषा डूबते-खत्म होते दिल को नया जीवन, नया जोष और नवोन्मेषी राह दे गई। आर्ट एन हार्ट के इस पौधे ने अपनी छांह के नए आयाम मापने शुरू किए हैं। अब यह उस बगीेचे का हिस्सा बनने जा रहा है जिसमें अंगुली की एक जुंबिष दुनिया के किसी भी कोने में रहें, दिल और कला को दुनिया में जोड़ देगी। दिल बच्चे जैसा छोटा भी रहे साथ-साथ पूरी दुनिया को समा लेने जितना विषाल भी हो जाए, वाकई यह टास्क मुष्किल है लेकिन यदि आर्ट के साथ हार्ट है और हार्ट को आर्ट की दोस्ती हासिल है तो इसे निभाना मुष्किल नहीं है। इस संगत पर जीवन की लय यूं ही गुनुगुनाती रहे और दुनिया को बताती रहे कि न दिल को लेकर जिक्र के दिन लदने वाले हैं और ना ही कला कभी अपने मकसद से चूकने वाली है।
आदित्य पांडे