...... दोस्तों कला और संवेदना जीवन में मिठास लाती है, उसे रसमय बनाती है....। कलाकार जीवन में सौन्दर्य को बढ़ाते हैं....। लेकिन स्वयं उन्हें जीवन में सौन्दर्य और आनन्द प्राप्त नहीं हो ये कितना दुखद है ...। आज हम विंन्सैंट वैनगाॅग को कितनी भावनात्मक तीव्रता से याद करते हैं और सदियां उन्हें याद करेंगेी, सराहेंगी . . . फिर भी क्या हम इस कड़वे सच को बदल सकेंगे कि एक अति प्रतिभावान, ऊर्जावान, संवेदनषील कलाकार ने स्वयं को इसलिए खत्म कर लिया क्योंकि दुनिया की बेरूखी उसे बर्दाष्त न हुई ...।ताज्जुब…
आप गुलजार की तर्ज पर दिल तो बच्चा है जी कहकर आगे बढ़ जाने के बजाए जरा गौर करें तो पता चलेगा कि दुनिया में हर कहीें जिसका जिक्र सबसे ज्यादा अंदाज में होता है वह दिल ही है। जितना और जितने विविध अंदाज में दिल का जिक्र अब तक हुआ है, जितनी परिभाषाएं, जितनी कहावतें और मुहावरे इसे लेकर गढ़े गए हैं उसे दुनिया की एक ही शै टक्कर दे सकती है और वह है आर्ट। बस यूं ही, एक दिन लगा कि दिल और कला यानी आर्ट एंड हार्ट की ऐसी जुगलबंदी को लेकर कहीं कुछ मिल जाए…
,,,,,कला माध्यम है, मानव ह्नदयों में भावनाओं के आदान प्रदान का . . . । कलाकार के रूप में एक इंसान जो आनंद अपनी रचना द्वारा व्यक्त करता है उसे कई सारे लोग एक साथ महसूस कर सकते हैं, जो दर्द कलाकार रचना है, लिखता है, या गाता है . . . वो कई ह्नदयों में स्पंदित होता है . . . । कला लोगों के दिलों को भावनात्मक स्तर पर जोड़ने के लिए है . . . । कला हर काल में हर स्थिति में मानव ह्नदय की अनिवार्य आवष्यकता रही है . . । पाषाण काल में जिस समय हम…
मानव मन की गहरी और सुंदरतम् अनुभूति जब किसी आकर्षक प्रतीक के माध्यम से अभिव्यक्त होती है तो उसे हम कला कह सकते हैं। यह सौंदर्यात्मक अभिव्यक्ति जब किसी अनगढ़ अनुकृति के रूप में परिणित होती है तो वह अनुकृति हमारी संस्कृति और लोककला के प्रतीक के रूप में पहचानी जाती है। मानव मन की संवेदनषीलता को इन प्रतीकों के माध्यम से समझना बेहद सरल और सुखद होता है।धर्म और कला कला की अभिव्यक्ति जब धर्म के माध्यम से की जाती है तब वह कृति पवित्र और पूजनीय हो जाती है। धर्म नेे कला को गंभीरता दी है तो कला…